आवाहन
जिस घर में हो आरती, चरण कमल चीतलाय,
ताहा हरी वासा करे, ज्योत अनंत जगाये।
जहा मंडल सुंदरकांड करे, बहे प्रेम दरिया,
तहा हरी श्रवण करे, सत्य लोक से आ।
सब कूच दिना आपने, भेट करू क्या नाथ।
नमस्कार की भेट लो, जोडू मैं दोनो हाथ ।
मो सम दीन न दीन हित, तुम समान रघुवीर।
अस विचार रघुवंशमणि, हरनि विषम भवभीर।
बार बार बर माँगिहुँ, हरषि देहु श्रीरंग।
पद सरोज अनपायनि, भगति सदा सत संग।
अर्थ न धर्म न काम रुचि, गति न चहौ निर्वाण।
जनम जनम रति रामजीपद, यह वरदान न आन।
कामहिं नारि पियरी जिमि, लोभहि प्रिय जिमि दाम।
तिमी रघुनाथ निरन्तर, प्रिय लागहिं मोहि राम ।
सियावर रामचंद्र भज जय शरणम् ।।
मंगल भवन अमंगल हारी, द्रबहु सुदसरथ अचर बिहारी।
दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ सम संकट भारी।।
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्, प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ।
हम भगवान श्री विष्णु का ध्यान करते हैं। कौन सफ़ेद वस्त्र धारण किये गए हैं। कौन है जो सर्वव्यापी है, चन्द्रमा की भांति कौन प्रकाशवान और चमकीला है। वह कौन है जिसके चार हाथ हैं। वह कौन है जिसका चेहरा सदा करुणा से भरा हुआ और तेजमय है, आओं हम उसका (विष्णु जी) का ध्यान करें जो समस्त बाधाओं से रक्षा करते हैं।
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
पद्मनाभ भगवान विष्णु, शेष की शैय्या पर विराजमान रहने वाले, शांतप्रिय, देवों के देव - सुरेश्वर, गगन के समान दिखने वाले विश्व के आधार, सुंदर अँगो से सुशोभित, मेघ वर्ण वाले।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्, वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ।
भगवान लक्ष्मीकांत, कमल नयन भगवान विष्णु, योगियों के ध्यान में निरंतर रहने वाले सारे संसार का भय हरने वाले, सम्पूर्ण सृष्टि के सारे लोको के नाथ, हम आपकी शत शत वंदना करते हैं । आप इस संसार रूपी भवसागर से हमें मुक्त कर अपनी शरणागति प्रदान करें।
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे संतु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत् ।
सभी लोग सुखी हो, सभी रोगमुक्त रहे, सभी का जीवन मंगलमय बने और कोई भी दुःख का भागी न बने। हे भगवान हमें ऐसा वरदान दो।
बोलिये श्री विष्णु भगवान की जय।
उमापति महादेवजी की जय ।
बोलिये श्री राघवेंद्र सरकार की जय ।
बोलिये श्री हनुमानजी महाराज की जय।
बोलिये श्री राधा वर श्री कृष्णा चंद्र भगवान जी की जय ।
सर्व मंगल मांगलए शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ए त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।
हे मां गौरी आप ही सबकी मंगल व कल्याण करने वाली है, आप ही जीवन की उध्दारकर्ता है आपके शरण मे आने से सब की इच्छा पूर्ण हो जाती है। आप तीनो लोक को जानने वाली है, आप ही भगवान शिव की अर्धांगिनी व नारायण की अर्धांगिनी है। अर्थात देवो के देव महादेव के सभी स्वरुपों मे आप ही है। हम भक्त आप को प्रणाम करते है।
या देवी सर्वा भूतेषू शक्ति रूपेना संस्थिता नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमस्तस् नमो नमः ।
उस देवी के लिए जो सभी प्राणियों में शक्ति के रूप में निवास करती है, उन्हें नमस्कार, उन्हें नमस्कार, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरा। गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।
गुरु ही ब्रह्म है जो सृष्टि के रचियता हैं। गुरु ही श्रष्टि के पालक हैं जैसे श्री विष्णु जी। गुरु ही इस श्रष्टि के संहारक भी हैं जैसे श्री शिव। गुरु साक्षात पूर्ण ब्रह्म हैं जिनको अभिवादन है (ऐसे गुरु को नमन/अभिवादन ). भाव है की ईश्वर तुल्य ऐसे गुरु को मैं नमस्कार करता हूँ।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ । निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।।
घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर काय, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली। मेरे प्रभु, हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करें (करने की कृपा करें)॥
बोलिये श्री गणेश भगवान की जय। बोलिये श्री गुरुदेव भगवान की जय।।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता। या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।
विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभि र्देवैः सदा वन्दिता। सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें।
बोलिये श्री सरस्वती माता की जय।
पहले ध्याउ मैं तुझे पुरण कीजो काज पहले ध्याउ मैं तुझे पुरण कीजो काज
सुंदरकांड में आना पधारो गणनायक महाराज
आज इस मंडल में सुंदरकांड कराया है। देवों के सिरमोक को पहले बुलाया है।
मूषक चढ़ के आ जाओ देवों के सरताज़ सुंदरकांड में आन पधारो ।
आपके बिन काम कोई ना सफल होवे। आपके आने से ही मुश्किल का हल हो।
आजा सुने है बड़े तुझ बिन सारे काज सुंदरकांड में ..
हे गजानन मंडल की अर्जी को सुन लेना मंडल की जो बात थोड़ी आ कर सुन लेना
इस मंडल की रख ले जरा अब तो आके लाज सुंदरकांड में आन पधारो ।
ओ मेरे बालाजी आ जाओ आ जाओ। सुंदरकांड में आ जाओ। आकर दर्श दिखा जाओ।
ओ मेरे बालाजी आ जाओ आ जाओ! सुंदरकांड में आ जाओ। आकर दर्श दिखा जाओ।
नमः शिवाय ओम नमः शिवाय। हर हर भोले नमः शिवाय।।
हर हर महादेव शिव शंभू । हर हर महादेव शिव शंभू।।
गण गणपतए नमो नमः। श्री सिद्धि विनायक नमो नमः ।।
अष्टविनायक नमो नमः। गणपति बाप्पा मोरिया ।।
ओम गुरु ओम गुरु ओम गुरु देवा। जय गुरु जय गुरु जय गुरु देवा।।
सीता राम सीता राम सीताराम कहिये जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये
सुंदरकांड में आ जाओ आकर दर्श दिखा जाओ।
गोपाला गोपाला देवकीनंदन गोपाला। नंदलाला नंदलाला, मुरली, मनोहर नंदलाला ।।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे।।
जय श्री श्याम जय श्री श्याम। खाटू वाले बाबा जय श्री श्याम।।
जय राधे जय जय राधे। जय राधे जय जय राधे।।
श्री राम जय राम जय जय राम। श्री राम जय राम जय जय राम ।।
सुंदरकांड में आ जाओ आकर दर्श दिखा जाओ ओ मेरे बालाजी आ जाओ आ जाओ!
बालाजी का रुप सुहाना लगता है। बालाजी का रूप सुहाना लगता है। सुंदरकांड का पाठ प्यारा लगता है।
सुंदरकांड का पाठ प्यारा लगता है। रामायण का पाठ प्यारा लगता है ।। हो ...
बालाजी का रुप सुहाना लगता है। अंजनी मां का लाला प्यारा लगता है।। हो ...
इस मंडल को साथ देना बालाजी। इस मंडल पर हाथ रखना बालाजी ।।हो ...
बालाजी का रुप सुहाना लगता है। सालासर का धाम प्यारा लगता है ।। हो ...
सुंदरकांड का पाठ प्यारा लगता है
बोलिये श्री सालासर बालाजी भगवान की जय । उमापति महादेवजी की जय।।
श्री गणेश वंदना
गाईये गणपती जगवंदन, शंकर सुवन भवानी के नंदन। गाईये
सिद्धि सदन गज वदन विनायक, कृपा सिन्धु सुंदर सब लायक। गाईये
मोदक प्रिय मुद मंगल दाता, विद्या वारिधी बुद्धि विधाता। गाईये
मांगत तुलसीदास कर जोरे, बसही राम सिय मानस मोरे। गाईये
हनुमानजी आवाहन
हनुमान तुम आईये, जहां कथा इतिहास। तुम सेवक श्रीराम के, मै चरणों का दास।।
तुलसीकृत रामायण , कथा कहूं रस सार। आसान लिज्यो ह्रदय में , विराजो पवनकुमार।।
सब कुछ दीना आपने , भेंट करू क्या नाथ। नमस्कार की भेंट लो , जोडू मै दोनों हाथ।।