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बिदाई

लेलो लेलो बिदाई हनुमान समापन सुन्दरकाण्ड ।
लेलो लेलो बिदाई हनुमान समापन सुन्दरकाण्ड ।

साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय॥

कबीर दास जी भगवान से अरदास करते हुए कहते हैं कि प्रभु!
आप मुझे उतना ही दें जिसमें मैं अपना और अपने परिवार का पालन कर सकूं
तथा मेरे द्वार पर संत जन आये तो उनका सत्कार मैं भली प्रकार कर सकूं।

लेलो लेलो बिदाई हनुमान समापन सुन्दरकाण्ड ।
लेलो लेलो बिदाई हनुमान समापन सुन्दरकाण्ड ।

दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय ।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय ।।

दुःख में हर इंसान ईश्वर को याद करता है
लेकिन सुख में सब ईश्वर को भूल जाते हैं।
अगर सुख में भी ईश्वर को याद करो तो
दुःख कभी आएगा ही नहीं।

लेलो लेलो बिदाई हनुमान समापन सुन्दरकाण्ड ।
लेलो लेलो बिदाई हनुमान समापन सुन्दरकाण्ड ।

माटी कहे कुम्हार से,तु क्या रौंदे मोय।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोय ।।

जब कुम्हार बर्तन बनाने के लिए मिटटी को रौंद रहा था,
तो मिटटी कुम्हार से कहती है – तू मुझे रौंद रहा है,
एक दिन ऐसा आएगा जब तू इसी मिटटी में विलीन हो जायेगा
और मैं तुझे रौंदूंगी।

लेलो लेलो बिदाई हनुमान समापन सुन्दरकाण्ड ।
लेलो लेलो बिदाई हनुमान समापन सुन्दरकाण्ड ।

कथा समापन होत है बिदा हुए हनुमान ।
कथा समापन होत है बिदा हुए हनुमान।

श्री राम लक्ष्मण जानकी सदा करो कल्याण।

लेलो लेलो बिदाई हनुमान समापन सुन्दरकाण्ड ।
लेलो लेलो बिदाई हनुमान समापन सुन्दरकाण्ड ।